Vice president Jagdeep Dhankhar Resign: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का जीवन संघर्ष, सेवा और सिद्धांतों से भरा रहा है। एक साधारण किसान परिवार से निकलकर उन्होंने वकालत और राजनीति में उत्कृष्ट योगदान दिया। भारत के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में उन्होंने संसद में मर्यादा और संविधान की रक्षा का दायित्व निभाया। हाल ही में उनके इस्तीफे ने देश की राजनीति में नई बहस छेड़ दी है। इस लेख में हम उनके जीवन, उपलब्धियों और इस्तीफे के संभावित कारणों को संक्षेप में जानेंगे।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का संक्षिप्त परिचय
विवरण | जानकारी |
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पूरा नाम | जगदीप धनखड़ |
जन्म तारीख | 18 मई 1951 |
जन्म स्थान | किठाना गाँव, झुंझुनू, राजस्थान |
शिक्षा | भौतिक विज्ञान स्नातक, एल.एल.बी. (राजस्थान विश्वविद्यालय) |
पेशा | वकील, राजनेता |
राजनीतिक करियर की शुरुआत | 1989 में जनता दल से सांसद निर्वाचित |
प्रमुख पद | केंद्रीय मंत्री, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल |
वर्तमान पद | भारत के 14वें उपराष्ट्रपति |
पदभार ग्रहण तिथि | 11 अगस्त 2022 |
अन्य भूमिका | राज्यसभा के सभापति |
त्यागपत्र | 21 जुलाई 2025 |
उपराष्ट्रपति जगदीश धनखड़ का प्रारंभिक एवं परिचय
Vice president Jagdeep Dhankhar Resign: जगदीप धनखड़ का जन्म 18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझुनूं जिले के किठाना गाँव में एक साधारण जाट किसान परिवार में हुआ था। बचपन से ही वे पढ़ाई में मेधावी थे और कठिन परिस्थितियों में भी शिक्षा प्राप्त की। उनकी प्रारंभिक शिक्षा गाँव के सरकारी स्कूल में हुई। इसके बाद उन्होंने महाराजा कॉलेज, जयपुर से स्नातक की पढ़ाई पूरी की और फिर राजस्थान विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री हासिल की। उनका बचपन खेती-बाड़ी और ग्रामीण जीवन के संघर्षों में बीता, जिसने उन्हें ज़मीन से जुड़ा और व्यवहारिक सोच वाला व्यक्तित्व बनाया। उनकी मेहनत, अनुशासन और शिक्षा के प्रति समर्पण ने उन्हें आगे चलकर राष्ट्रीय स्तर का नेतृत्वकर्ता बना दिया।
उपराष्ट्रपति जगदीश धनखड़ का शिक्षा
Vice president Jagdeep Dhankhar Resign: जगदीप धनखड़ ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा राजस्थान के झुंझुनू जिले के किठाना गाँव के सरकारी स्कूल से प्राप्त की। आगे की पढ़ाई उन्होंने सादुलपुर के सरदार स्कूल से की। इसके बाद उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर से भौतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। शिक्षा के प्रति गहरी रुचि के चलते उन्होंने लॉ कॉलेज, जयपुर से विधि (LL.B.) की डिग्री भी हासिल की। उनकी शिक्षा ने ही उन्हें वकालत और राजनीति के लिए तैयार किया।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का राजनीतिक करियर
Vice president Jagdeep Dhankhar Resign: जगदीप धनखड़ ने 1989 में जनता दल के प्रत्याशी के रूप में झुंझुनू से लोकसभा चुनाव जीतकर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। वे वी.पी. सिंह सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रहे। बाद में वे भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए और सक्रिय भूमिका निभाई। 2019 में उन्हें पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया। 2022 में वे एनडीए के उम्मीदवार के रूप में भारत के 14वें उपराष्ट्रपति निर्वाचित हुए। उनका राजनीतिक सफर स्थिर और प्रभावशाली रहा है।
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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का कार्यकाल
Vice president Jagdeep Dhankhar Resign: जगदीप धनखड़ 11 अगस्त 2022 को भारत के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में पदभार ग्रहण किए। उन्होंने एम. वेंकैया नायडू का स्थान लिया। उपराष्ट्रपति के रूप में वे राज्यसभा के सभापति भी थे। और उन्होंने सदन की गरिमा बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई। अपने कार्यकाल में वे सटीक, अनुशासित और संविधान सम्मत संचालन के लिए पहचाने जायेंगे। वे लगातार लोकतंत्र, न्यायपालिका और संसदीय मर्यादाओं पर बल देते रहे हैं।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ इस्तीफा
Vice president Jagdeep Dhankhar Resign: भारत के उपराष्ट्रपति जगदीश धनकर में स्वास्थ्य कर्म और चिकित्सीय सलाह को पालन करने की आवश्यकता का वाला देते हुए तत्काल प्रभाव से अपने पद से आधिकारिक रूप से इस्तीफा दे दिया है राष्ट्रपति को संबोधित या इस्तीफा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 67 ए के तहत किया गया है।
धड़कन ने 21 जुलाई 2025 को लिखे अपने पत्र में लिखा स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने और चिकित्सा सलाह का पालन करने के लिए मैं संविधान के अनुच्छेद 67 ए के अनुसार तत्काल प्रभाव से भारत के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देता हूं।
त्यागपत्र में धनखड़ ने भारत की राष्ट्रपति के प्रति उनके अटूट समर्थन और मेरे कार्यकाल के दौरान बनाए गए सुपर और अद्भुत कार्य संबंध के लिए अपना द्वारा आभार व्यक्त किया।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री परिषद की भी सराहना की उन्होंने कहा प्रधानमंत्री का सहयोग और समर्थन मूल्य रहा और मैं अपने कार्यकाल के दौरान बहुत कुछ सीखा है।
मेरा सौभाग्य : धनखड़
Vice president Jagdeep Dhankhar Resign: धनकर ने सांसदों से मिले गर्म जोशी विश्वास और स्नेहा को अनमोल और मेरी स्मृति में बांटा बताया उन्होंने आगे कहा हमारे महान लोकतंत्र में उपराष्ट्रपति रूप में मुझे जो अमूल अनुभव और अंतर्दृष्टि मिली है उसके लिए मैं तहे दिल से आपका आभारी हूं।
अपने कार्यकाल पर विचार करते हुए उन्होंने लिखा इस महत्वपूर्ण अवधि के दौरान भारत की उल्लेखनीय आर्थिक प्रगति और अभूतपूर्व घाटी विकास को देखना और उसमें भाग लेना मेरे लिए सौभाग्य और संतोष की बात रही है हमारे राष्ट्र की इतिहास के इस परिवर्तनकारी युग में सेवा करना मेरे लिए एक सच्चा सम्मान रहा है अपने त्यागपत्र के समापन में उपराष्ट्रपति धनखड़ ने भारत की वैश्विक उपलब्धियां और भविष्य की संभावनाओं पर गर्व व्यक्त किया इस प्रतिष्ठित पद को छोड़ते हुए में भारत के वैश्विक उत्थान और अभूतपुर उपलब्धियां पर गर्म महसूस कर रहा हूं और इसके उज्जवल भविष्य में अटूट विश्वास रखता हूं।
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