Dr Sarvepalli Radhakrishnan Biography : भारतवर्ष अपनी संस्कृति, ज्ञान और शिक्षा परंपरा के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध रहा है। भारतीय इतिहास में ऐसे कई महान व्यक्तित्व हुए जिन्होंने न केवल शिक्षा के क्षेत्र में योगदान दिया, बल्कि अपनी विद्वता, ईमानदारी और नैतिक मूल्यों से राष्ट्र को दिशा दिखाई। उन्हीं महान विभूतियों में से एक थे डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, जो भारत के द्वितीय राष्ट्रपति, प्रसिद्ध दार्शनिक, उत्कृष्ट शिक्षक और महान चिंतक के रूप में जाने जाते हैं। उनकी पहचान केवल राजनीति तक सीमित नहीं थी, बल्कि वे सबसे पहले एक शिक्षक थे, और आज भी उनकी स्मृति में हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है।
आइए, हम उनकी जीवन यात्रा को सरल भाषा में विस्तार से समझें।
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की संक्षिप्त जीवनी
विषय | विवरण |
---|---|
पूरा नाम | डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन |
जन्म तिथि | 5 सितंबर 1888 |
जन्म स्थान | तिरुत्तनी, तमिलनाडु (भारत) |
माता-पिता | पिता – सर्वपल्ली वीरस्वामी माता – सर्वपल्ली सीतम्मा |
शिक्षा | क्रिश्चियन कॉलेज, मद्रास (एम.ए. दर्शनशास्त्र) |
पेशा | शिक्षक, दार्शनिक, लेखक, राजनयिक, राजनेता |
प्रमुख पद | – भारतीय दूत (सोवियत संघ) – उपराष्ट्रपति (1952–1962) – राष्ट्रपति (1962–1967) |
प्रमुख कृतियाँ | Indian Philosophy, Eastern Religions and Western Thought, The Philosophy of Rabindranath Tagore |
सम्मान | भारत रत्न (1954), कई अंतरराष्ट्रीय मानद उपाधियाँ |
विशेष योगदान | भारतीय दर्शन को विश्व स्तर पर लोकप्रिय बनाया, शिक्षा के महत्व पर बल दिया |
प्रसिद्ध दिवस | इनके जन्मदिन (5 सितंबर) को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है |
मृत्यु | 17 अप्रैल 1975 (चेन्नई, तमिलनाडु) |
Dr Sarvepalli Radhakrishnan Biography : प्रारंभिक जीवन
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के एक छोटे से गाँव तिरुत्तनी में हुआ था। उनका परिवार साधारण था और आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। उनके पिता का नाम सर्वपल्ली वीरस्वामी था, जो एक आम सरकारी कर्मचारी थे। उनकी माता का नाम सर्वपल्ली सीतम्मा था, जो धार्मिक विचारों वाली महिला थीं।
बचपन से ही राधाकृष्णन तेजस्वी और बुद्धिमान थे। वे धार्मिक वातावरण में बड़े हुए और संस्कृत शास्त्रों तथा वेदों में उनकी गहरी रुचि थी। परिवार चाहता था कि वे पुजारी बनें, लेकिन उनकी रुचि शिक्षा और ज्ञान की ओर अधिक थी।
Dr Sarvepalli Radhakrishnan Biography : शिक्षा की शुरुआत
राधाकृष्णन ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई तिरुत्तनी और तिरुपति में पूरी की। इसके बाद उन्होंने आगे की पढ़ाई के लिए वेल्लोर और मद्रास (आज का चेन्नई) का रुख किया।
उन्होंने क्रिश्चियन कॉलेज, मद्रास से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। यहीं से उन्होंने दर्शनशास्त्र (Philosophy) में विशेष रुचि लेना शुरू किया। हालांकि उस समय उनके पास पुस्तकें खरीदने तक के पैसे नहीं होते थे, लेकिन उन्होंने उधार लेकर पढ़ाई जारी रखी। वे दिन-रात पढ़ाई में लगे रहते और बहुत मेहनती छात्र के रूप में पहचाने जाते।
सिर्फ 20 साल की उम्र में उन्होंने एम.ए. (Philosophy) की पढ़ाई पूरी कर ली थी।
Dr Sarvepalli Radhakrishnan Biography : दर्शनशास्त्र और अध्यापन
राधाकृष्णन ने अपने करियर की शुरुआत मद्रास प्रेसीडेंसी कॉलेज में अध्यापक (Lecturer) के रूप में की। वे इतने सरल और स्पष्ट भाषा में पढ़ाते थे कि कठिन से कठिन विषय भी छात्रों को आसानी से समझ में आ जाता।
उनका गहरा अध्ययन भारतीय दर्शन (Indian Philosophy) में था। उन्होंने वेदांत, उपनिषद, गीता और भारतीय आध्यात्मिकता को पश्चिमी विचारधाराओं से जोड़कर समझाया। यही कारण है कि वे भारतीय दर्शन को दुनिया भर में लोकप्रिय बना सके।
बाद में वे मैसूर विश्वविद्यालय, कैलकटा विश्वविद्यालय और अंततः ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में भी अध्यापन कार्य से जुड़े। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में उन्होंने भारतीय दर्शन को पढ़ाया और पश्चिमी विद्वानों के बीच भारत की ज्ञान परंपरा का लोहा मनवाया।
Dr Sarvepalli Radhakrishnan Biography : लेखक और विचारक
राधाकृष्णन न केवल शिक्षक थे बल्कि एक प्रख्यात लेखक भी थे। उन्होंने भारतीय दर्शन पर कई किताबें लिखीं। उनकी प्रमुख पुस्तकों में शामिल हैं –
- The Philosophy of Rabindranath Tagore
- Indian Philosophy (दो खंडों में)
- The Bhagavadgita: A Philosophical Introduction
- Eastern Religions and Western Thought
इन पुस्तकों के माध्यम से उन्होंने यह दिखाया कि भारतीय संस्कृति और दर्शन कितना गहरा और समृद्ध है। उन्होंने कहा था कि –
“भारतीय दर्शन केवल धर्म नहीं है, बल्कि यह जीवन जीने की कला है।”
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Dr Sarvepalli Radhakrishnan Biography : शिक्षक के रूप में लोकप्रियता
राधाकृष्णन एक आदर्श शिक्षक थे। वे मानते थे कि शिक्षा का उद्देश्य केवल नौकरी पाना नहीं है, बल्कि अच्छे इंसान बनना है।
वे अपने छात्रों को हमेशा प्रेरित करते कि शिक्षा से जीवन में नैतिकता, आत्मविश्वास और जिम्मेदारी आनी चाहिए।
उनकी लोकप्रियता इतनी थी कि छात्र उन्हें अपना आदर्श मानते। जब वे भारत के राष्ट्रपति बने, तब भी छात्रों ने उनसे कहा कि “सर, आप हमारे लिए सबसे पहले शिक्षक हैं।” इसी कारण उनकी जन्मतिथि 5 सितंबर को भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाई जाने लगी।
Dr Sarvepalli Radhakrishnan Biography : राजनीतिक जीवन की शुरुआत
हालांकि राधाकृष्णन राजनीति से दूर रहते थे, लेकिन उनकी विद्वता और सत्यनिष्ठा के कारण उन्हें राजनीति में भी बुलावा मिला।
- वे पहले राजदूत (Ambassador) बनकर सोवियत संघ (USSR) भेजे गए। वहाँ उन्होंने भारत और रूस के संबंधों को मजबूत बनाने में बड़ी भूमिका निभाई।
- 1952 में वे भारत के उपराष्ट्रपति बने और लगातार दो कार्यकाल (1952–1962) तक इस पद पर रहे।
- इसके बाद 1962 में उन्हें भारत का दूसरा राष्ट्रपति बनाया गया।

Dr Sarvepalli Radhakrishnan Biography : भारत के राष्ट्रपति के रूप में योगदान
डॉ. राधाकृष्णन का राष्ट्रपति कार्यकाल (1962–1967) भारतीय इतिहास में बेहद खास माना जाता है। वे एक विद्वान राष्ट्रपति थे, जिनकी छवि एक आदर्श शिक्षक और ईमानदार व्यक्ति की थी।
उनके कार्यकाल में 1962 और 1965 में भारत को चीन और पाकिस्तान के साथ युद्धों का सामना करना पड़ा। इन कठिन परिस्थितियों में उन्होंने पूरे राष्ट्र को एकजुट किया और युवाओं से आह्वान किया कि वे शिक्षा और अनुशासन को जीवन का आधार बनाएं।
वे भव्यता और शानो-शौकत से दूर रहते थे। राष्ट्रपति भवन में रहते हुए भी उनकी जीवनशैली बेहद सरल थी।
Dr Sarvepalli Radhakrishnan Biography : पुरस्कार और सम्मान
डॉ. राधाकृष्णन को उनके योगदान के लिए अनेक पुरस्कार और सम्मान मिले –
- 1954 में उन्हें भारत सरकार ने भारत रत्न (देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान) प्रदान किया।
- उन्हें ब्रिटेन की संसद (House of Commons) और कई विदेशी विश्वविद्यालयों से मानद डिग्रियाँ मिलीं।
- यूनाइटेड किंगडम की संसद में उनका अभिनंदन हुआ, जो किसी भी भारतीय के लिए गर्व की बात थी।
Dr Sarvepalli Radhakrishnan Biography : शिक्षक दिवस की शुरुआत
जब वे राष्ट्रपति बने, तो उनके कुछ छात्रों और मित्रों ने उनसे आग्रह किया कि उनका जन्मदिन बड़े पैमाने पर मनाया जाए।
लेकिन राधाकृष्णन ने विनम्रता से कहा –
“यदि आप मेरे जन्मदिन को मनाना चाहते हैं, तो इसे शिक्षक दिवस के रूप में मनाइए।”
तब से लेकर आज तक हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। यह दिन सिर्फ उनके जन्मदिन की याद नहीं दिलाता, बल्कि हर शिक्षक के महत्व को सम्मान देता है।
Dr Sarvepalli Radhakrishnan Biography : व्यक्तिगत जीवन
डॉ. राधाकृष्णन का विवाह बचपन में ही सिवाकामु नामक महिला से हुआ था। उनका दांपत्य जीवन सादगी से भरा था। उनके पाँच बेटियाँ और एक बेटा था।
वे अपने परिवार को भी उतना ही महत्व देते थे, जितना अपने कर्तव्यों को।
Dr Sarvepalli Radhakrishnan Biography : अंतिम समय और निधन
राधाकृष्णन का जीवन पूरी तरह शिक्षा, विचार और सेवा को समर्पित था। राष्ट्रपति पद से निवृत्त होने के बाद वे चेन्नई में बस गए।
17 अप्रैल 1975 को 86 वर्ष की आयु में उनका निधन हुआ। उनके जाने से भारत ने एक महान दार्शनिक, शिक्षक और राष्ट्रपुरुष को खो दिया।
Dr Sarvepalli Radhakrishnan Biography : डॉ. राधाकृष्णन के विचार
उनके कुछ प्रेरणादायक विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं –
- “शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान देना नहीं, बल्कि अच्छे नागरिक बनाना है।”
- “सच्चा शिक्षक वही है, जो अपने छात्रों से ज्ञान प्राप्त करने की प्रेरणा जगा दे।”
- “धर्म हमें जोड़ता है, तोड़ता नहीं।”
- “केवल वही व्यक्ति दूसरों का मार्गदर्शन कर सकता है, जो स्वयं अनुशासित हो।”
निष्कर्ष – डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारतीय इतिहास के ऐसे महान व्यक्तित्व थे, जिनका जीवन शिक्षा, दर्शन और मानवता को समर्पित था। उन्होंने अपनी विद्वता से न केवल भारत को गौरवान्वित किया, बल्कि पूरे विश्व में भारतीय दर्शन और संस्कृति का परचम लहराया।
वे चाहे राष्ट्रपति बने हों, दार्शनिक हों या शिक्षक – हर भूमिका में उन्होंने विनम्रता और ईमानदारी को प्राथमिकता दी।
आज जब हम 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाते हैं, तो यह सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि डॉ. राधाकृष्णन की शिक्षाओं और मूल्यों को याद करने का अवसर है। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि शिक्षा ही वह प्रकाश है, जो अज्ञानता के अंधकार को मिटाकर जीवन को सार्थक बनाती है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
प्रश्न 1. डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन कौन थे?
उत्तर: वे भारत के दूसरे राष्ट्रपति, महान शिक्षक, दार्शनिक और लेखक थे।
प्रश्न 2. डॉ. राधाकृष्णन का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर: उनका जन्म 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरुत्तनी गाँव में हुआ था।
प्रश्न 3. भारत में शिक्षक दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?
उत्तर: हर साल 5 सितंबर को डॉ. राधाकृष्णन के जन्मदिन पर शिक्षक दिवस मनाया जाता है, क्योंकि वे शिक्षा को जीवन का मूल मानते थे।
प्रश्न 4. डॉ. राधाकृष्णन भारत के किस क्रम के राष्ट्रपति थे?
उत्तर: वे भारत के दूसरे राष्ट्रपति (1962–1967) थे।
प्रश्न 5. डॉ. राधाकृष्णन का निधन कब हुआ था?
उत्तर: 17 अप्रैल 1975 को चेन्नई (तमिलनाडु) में हुआ।