GOUTAM BUDDHA BIOGRAPHY : भगवान गौतम बुद्ध एक महान संत, आध्यात्मिक गुरु और बौद्ध धर्म के प्रवर्तक थे। उन्होंने सत्य, अहिंसा, करुणा और ध्यान के माध्यम से जीवन के वास्तविक अर्थ को समझाया। उनका जीवन और उनके विचार न केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व में प्रेरणा के स्रोत बने। उन्होंने दुखों से मुक्ति पाने का मार्ग बताया और अपने उपदेशों के माध्यम से लाखों लोगों को आत्मज्ञान की ओर प्रेरित किया।
गौतम बुद्ध का प्रारंभिक जीवन
GOUTAM BUDDHA BIOGRAPHY : गौतम बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व नेपाल के लुंबिनी वन में हुआ था। उनका मूल नाम सिद्धार्थ गौतम था। वे “शाक्य वंश” के राजा शुद्धोधन और माता महामाया के पुत्र थे। कहा जाता है कि उनकी माता महामाया ने जन्म से पहले एक स्वप्न देखा, जिसमें एक सफेद हाथी उनके गर्भ में प्रवेश करता हुआ दिखाई दिया। इस स्वप्न को विद्वानों ने यह संकेत माना कि उनके गर्भ में एक दिव्य आत्मा का वास है।
सिद्धार्थ का जन्म लुंबिनी में हुआ, लेकिन उनकी माता का निधन कुछ ही दिनों बाद हो गया। इसलिए उनका पालन-पोषण उनकी मौसी महाप्रजापति गौतमी ने किया। सिद्धार्थ बचपन से ही शांत, गंभीर और दयालु स्वभाव के थे। उन्होंने शिक्षा और युद्ध-कला में महारत हासिल की, लेकिन उनके मन में संसार के दुखों को लेकर अनेक प्रश्न उठते रहते थे।
राजमहल में विलासितापूर्ण जीवन
GOUTAM BUDDHA BIOGRAPHY : सिद्धार्थ का जीवन राजमहल में विलासिता और ऐश्वर्य से भरा था। उनके पिता शुद्धोधन ने यह भविष्यवाणी सुनी थी कि सिद्धार्थ एक महान राजा या सन्यासी बनेंगे। इसलिए, उन्होंने सिद्धार्थ को बाहरी दुनिया की कठिनाइयों से दूर रखा और हर प्रकार के भोग-विलास में उनका लालन-पालन किया।
16 वर्ष की आयु में सिद्धार्थ का विवाह राजकुमारी यशोधरा से हुआ और उनके पुत्र राहुल का जन्म हुआ। हालांकि, वे महल में रहते हुए भी संसार के दुखों से अनभिज्ञ नहीं रह सके।
चार महादर्शन और वैराग्य की भावना
GOUTAM BUDDHA BIOGRAPHY : सिद्धार्थ के जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब वे पहली बार अपने महल से बाहर निकले। उन्होंने चार दृश्य (महादर्शन) देखे, जिन्होंने उनके मन को गहरे रूप से प्रभावित किया—
- एक वृद्ध व्यक्ति – जिसने उन्हें बताया कि बुढ़ापा अटल सत्य है।
- एक रोगी व्यक्ति – जिससे उन्हें ज्ञात हुआ कि संसार में रोग पीड़ा लाते हैं।
- एक मृत व्यक्ति – जिससे उन्हें अहसास हुआ कि मृत्यु अवश्यंभावी है।
- एक सन्यासी – जो संसार के दुखों से मुक्त शांतिपूर्ण जीवन जी रहा था।
इन दृश्यों को देखकर सिद्धार्थ के मन में संसार की असारता का बोध हुआ। उन्होंने सोचा कि सुख-दुख, जन्म-मृत्यु और रोग से मुक्ति कैसे प्राप्त की जा सकती है? इस प्रश्न का उत्तर खोजने के लिए उन्होंने गृहस्थ जीवन त्यागने का निश्चय किया।
संन्यास और सत्य की खोज
GOUTAM BUDDHA BIOGRAPHY : 29 वर्ष की आयु में, एक रात सिद्धार्थ ने अपने पत्नी और पुत्र को छोड़कर संन्यास ले लिया। वे संसार की असली सच्चाई की खोज में जंगलों में चले गए।
उन्होंने कई वर्षों तक विभिन्न ऋषियों और गुरुओं से शिक्षा ली। उन्होंने कठोर तपस्या और योग साधना की, लेकिन उन्हें ज्ञान प्राप्त नहीं हुआ। अंततः उन्होंने अत्यधिक कठोर साधना छोड़कर मध्यम मार्ग अपनाने का निर्णय लिया, जिसमें न अधिक भोग-विलास हो और न ही अत्यधिक तपस्या।
बुद्धत्व की प्राप्ति
GOUTAM BUDDHA BIOGRAPHY : छह वर्षों की कठोर साधना के बाद, सिद्धार्थ बोधगया (बिहार) पहुंचे और वहाँ पीपल के वृक्ष के नीचे ध्यान लगाया। उन्होंने संकल्प लिया कि जब तक उन्हें ज्ञान प्राप्त नहीं होगा, वे वहां से नहीं हटेंगे।
49 दिनों तक ध्यान करने के बाद, वैशाख पूर्णिमा के दिन उन्हें सर्वोच्च ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे बुद्ध (जाग्रत पुरुष) बन गए। जिस पीपल वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ, वह बोधि वृक्ष कहलाया।
ज्ञान प्राप्ति के बाद, उन्होंने अनुभव किया कि संसार दुखों से भरा है, लेकिन सही मार्गदर्शन से दुखों से मुक्त हुआ जा सकता है।
बौद्ध धर्म का प्रचार और पहला उपदेश
GOUTAM BUDDHA BIOGRAPHY : ज्ञान प्राप्ति के बाद, बुद्ध ने सारनाथ (वाराणसी) में अपने पाँच शिष्यों को पहला उपदेश दिया, जिसे ‘धर्मचक्र प्रवर्तन’ कहा जाता है। यह उपदेश बौद्ध धर्म की नींव बना।
उन्होंने अपने उपदेशों में चार आर्य सत्य और अष्टांगिक मार्ग की शिक्षा दी—
चार आर्य सत्य
- दुख – संसार में जन्म, रोग, मृत्यु और मोह से दुख उत्पन्न होता है।
- दुख का कारण – तृष्णा (इच्छा) सभी दुखों का मूल कारण है।
- दुख का निरोध – इच्छाओं का त्याग करने से दुखों का अंत संभव है।
- दुख निरोध के मार्ग – अष्टांगिक मार्ग अपनाने से दुखों से मुक्ति मिलती है।
अष्टांगिक मार्ग
- सम्यक दृष्टि – सही ज्ञान प्राप्त करना।
- सम्यक संकल्प – जीवन में सही उद्देश्य रखना।
- सम्यक वाणी – सत्य और मधुर वाणी बोलना।
- सम्यक कर्म – नैतिक जीवन जीना।
- सम्यक आजीविका – सही तरीके से जीविका अर्जित करना।
- सम्यक प्रयास – सही दिशा में परिश्रम करना।
- सम्यक स्मृति – अपने विचारों और कार्यों के प्रति सजग रहना।
- सम्यक समाधि – ध्यान और आत्मचिंतन करना।
बुद्ध ने अपने अनुयायियों के लिए बौद्ध संघ की स्थापना की, जिसमें भिक्षु और भिक्षुणियाँ शामिल हुए।
महापरिनिर्वाण
GOUTAM BUDDHA BIOGRAPHY : 45 वर्षों तक धर्म प्रचार के बाद, 80 वर्ष की आयु में, कुशीनगर (वर्तमान उत्तर प्रदेश) में गौतम बुद्ध का निधन हो गया। इसे महापरिनिर्वाण कहा जाता है।
उनकी मृत्यु के बाद उनके अनुयायियों ने उनकी शिक्षाओं को संकलित किया और बौद्ध धर्म को पूरे एशिया में फैलाया।
गौतम बुद्ध के विचारों का प्रभाव
GOUTAM BUDDHA BIOGRAPHY : गौतम बुद्ध के विचारों ने न केवल भारत, बल्कि चीन, जापान, तिब्बत, थाईलैंड, श्रीलंका और अन्य देशों में भी व्यापक प्रभाव डाला।
उनकी शिक्षाएँ आज भी प्रासंगिक हैं और जीवन में शांति, संतोष और आत्मज्ञान का मार्ग दिखाती हैं। अहिंसा, करुणा और मध्यम मार्ग का पालन करने से जीवन सुखमय और संतुलित बनता है।

निष्कर्ष
GOUTAM BUDDHA BIOGRAPHY : गौतम बुद्ध का जीवन मानवता के लिए प्रेरणादायक है। उन्होंने दिखाया कि सत्य और आत्मज्ञान के मार्ग पर चलकर कोई भी व्यक्ति अपने जीवन के कष्टों से मुक्त हो सकता है। उनकी शिक्षाएँ आज भी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं और उन्हें सही मार्ग दिखाने का कार्य करती हैं।
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