Swami Vivekanand Ka Jivan Prichay

स्वामी विवेकानन्द जी का जीवन परिचय – Swami Vivekanand Ka Jivan Prichay

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Swami Vivekanand Ka Jivan Prichay – भारत के महान आध्यात्मिक गुरु और सबसे बड़े युथ आइकॉन ‘स्वामी विवेकानंद’ की जयंती 12 जनवरी को मनाई जाती है। स्वामी विवेकानंद देश विदेश के करोड़ों लोग (युवा) अपना आदर्श मानते हैं। उनके जोशीले विचारों से प्रेरणा लेते हैं। इसी वजह से 12 जनवरी उनके जन्मदिन को देश में ‘राष्ट्रीय युवा दिवस’ के तौर पर मनाया जाता है। स्वामी विवेकानंद आध्यात्मिक दिमाग के साथ-साथ विपुल विचारक, महान वक्ता और भावुक देशभक्त थे।

Swami Vivekanand Ka Jivan Prichay – स्वामी जी गुरु रामकृष्ण परमहंस के शिष्य थे स्वामी जी के जीवनी ने कई लोगों को प्रेरणा दी है। वेदांत की विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे। उनका वास्तविक नाम नरेंद्र नाथ दत्त था। आईये इस लेख के माध्यम से हम इस महान शख्सियत स्वामी विवेकानंद जी के जीवन परिचय बारे में जानते हैं।

स्वामी विवेकानन्द जी का जीवन परिचय – Swami Vivekanand Ka Jivan परिचय

Swami Vivekanand Ka Jivan Prichay – स्वामी विवेकानंद भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता के प्रमुख स्तंभों में से एक थे। उन्होंने भारत के गौरव को न केवल देश में, बल्कि विश्व स्तर पर स्थापित किया। उनका जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता (तत्कालीन कलकत्ता) में एक संभ्रान्त परिवार में हुआ था उनका वास्तविक नाम नरेंद्र दत्त उनके पिता का नाम विश्वनाथ दत्त था और उनकी माता भुवनेश्वरी देवी धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थी। नरेंद्र नाथ के बचपन में ही उनके बुद्धिमत्ता,उत्सुक्ता और धर्म के प्रति रूचि ने उन्हें दूसरों से अलग बनाया।

बचपन का नामनरेंद्र नाथ दत्त
मठ वासी बनने के बाद नाम स्वामी विवेकानंद
पिता का नाम विश्वनाथ दत्त
माता का नाम भुनेश्वरी देवी
भाई बहन9
जन्मतिथि12 जनवरी, 1863
जयंती 12 जनवरी
जन्मस्थान कलकत्ता, भारत
राष्ट्रीयता भारतीय
गुरु का नामरामकृष्ण परमहंस
शिक्षा दीक्षा बैचलर ऑफ़ आर्ट (B.A.)
संस्थापक रामकृष्ण मिशन और रामकृष्ण मठ
फिलोसोफी आधुनिक वेदांत और राजयोग
साहित्यकार राजयोग, कर्म योग, भक्ति योग, मेरे गुरु अल्मोड़ा से कोलंबो तक दिए गए सभी व्याख्यान।
अन्य महत्वपूर्ण कार्य न्यू पार्क में वेदांत सोसाइटी की स्थापना, कैलिफोर्निया में शांति आश्रम और भारत में अल्मोड़ा के पास अद्वैत आश्रम की स्थापना।
उल्लेखनीय शिष्य अशोकानंद, बिरजानंद, परमानंद, अलसिंगा पेरूमल, अभयानंद, भगिनी निवेदिता, स्वामी सदानंद आदि।
मृत्यु तिथि4 जुलाई,, 1902
मृत्यु स्थान बेंलुर, पश्चिम बंगाल, भारत

परिवार और प्रारंभिक जीवन

Swami Vivekanand Ka Jivan Prichay – स्वामी विवेकानंद के पिता, एक प्रसिद्ध वकील थे और पश्चिमी संस्कृति से प्रभावित थे उनकी माता भुवनेश्वरी देवी, धर्म प्रवीण की महिला थी। और उन्होंने नरेंद्र को बचपन से ही धर्म और अध्यात्मीक्ता का पाठ पढ़ाया। बाल्य काल से ही नरेंद्र नाथ की बुद्धिमत्ता और उनकी कितनी प्रसन्न शक्ति में सभी को प्रभावित किया। विशारिक रूप से बलशाली और मानसिक रूप से अत्यधिक तेजस्वी थे।

शिक्षा और आध्यात्मिकता

Swami Vivekanand Ka Jivan Prichay – नरेंद्र नाथ की प्रारंभिक शिक्षा ईश्वर चंद्र विद्यासागर के मेट्रोपॉलिटन इंस्टीट्यूशन में हुई। वे बचपन से ही बहुत जिज्ञासु थे हर विषय को गहराई से समझने का प्रयास करते थे। 1879 में उन्होंने कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज में दाखिला लिया और फिर कोलकाता विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में B.A. डिग्री प्राप्त की। उस कॉलेज के प्रवेश परीक्षा वह एकमात्र ऐसे छात्र थे जिन्होंने प्रथम डिविजन से पास किया था।

Swami Vivekanand Ka Jivan Prichay – इस दौरान उन्होंने वेद, उपनिषद, भागवत गीता, रामायण, महाभारत, और पौराणिक कथाओं का अध्ययन किया। साथ ही उन्होंने पश्चिमी दार्शनिक के विचारों को भी समझा। उनकी रूचि केवल पढ़ाई तक सीमित नहीं थी वह संगीत, खेलकूद और समाज सेवा में भी सक्रिय थे।

स्वामी विवेकानंद और रामकृष्ण परमहंस

Swami Vivekanand Ka Jivan Prichay – स्वामी विवेकानंद जी को बचपन से ही ईश्वर के प्रति जन का जिज्ञासा था इसलिए उन्होंने एक बार महर्षि देवेंद्र नाथ से उन्होंने एक सवाल पूछा ‘ क्या आपने कभी भगवान को देखा है?’ उनके इस सवाल को सुनकर महर्षि देवेंद्र आश्चर्य में पड़ गए। उनकी जिज्ञासा को शांत करने के लिए उन्होंने रामकृष्ण परमहंस के पास जाने की सलाह दिए। उसके बाद स्वामी जी ने रामकृष्ण परमहंस कोई अपना गुरु बना लिया उनके बताए सब मार्ग पर चलने लगे।

Swami Vivekanand Ka Jivan Prichay – विवेकानंद जी अपने गुरु से इतना प्रभावित हुए कि उनके प्रति उनके मन में कर्तव्य निष्ठा और श्रद्धा की भावना बढ़ती गई। 1885 में उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस कैंसर की बीमारी से ग्रसित देश के लिए उन्होंने उनकी बहुत सेवा की और अंत में उनकी मृत्यु हो गई इस तरह से गुरु और शिष्य की बीच एक मजबूत रिश्ता बन चुका था।

रामकृष्ण मठ की स्थापना

Swami Vivekanand Ka Jivan Prichay – उसके बाद उन्होंने अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस के मृत्यु के बाद उन्होंने 12 नगरों में रामकृष्ण संघ की स्थापना की बाद में इसका नाम रामकृष्ण संघ से बदलकर रामकृष्ण मठ कर दिया गया। रामकृष्ण मठ की स्थापना के बाद मात्र 25 वर्ष के उम्र में उन्होंने अपना घर परिवार त्याग दिया और ब्रह्मचर्य का पालन करने लगे और गेरुआ वस्त्र धारण करने लगे तभी से उनका नाम विवेकानंद स्वामी हो गया।

स्वामी विवेकानंद के सिद्धांत

Swami Vivekanand Ka Jivan Prichay – स्वामी जी ने भारत में ब्रह्म समाज रामकृष्ण मिशन और मठ की स्थापना करके लोगों को आध्यात्मिक से जोड़ा। उनका एक ही सिद्धांत ताकि भारत देश के युवा इस देश को काफी आगे ले जाए। उन्होंने कहा था कि अगर मुझे 100 युवा मिल जाय, जो पूरी तरह से समर्पित हो तो वह भारत की तस्वीर बदल देंगे। Swami Vivekanand Ka Jivan Prichay शिक्षा ऐसी हो जिससे बालक का शारीरिक मानसिक और आत्मिक विकास हो सके शिक्षा से बच्चों के चरित्र का निर्माण और वह आत्मनिर्भर बने। उन्होंने कहा था कि धार्मिक शिक्षा पुस्तक को द्वारा ना देकर आचरण और संस्कार द्वारा देनी चाहिए।

स्वामी विवेकानंद की जयंती

Swami Vivekanand Ka Jivan Prichay – स्वामी विवेकानंद बहुत ही ज्यादा बुद्धिमान और प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे। उनके स्वभाव और देश के लिए हमेशा अच्छे कामों के कारण उन्होंने सभी लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर लिया था। इसी कारण सभी युवाओं की नजरों में स्वामी विवेकानंद एक आदर्श के रूप में बन गए थे। 12 जनवरी को युवा दिवस के रूप में देश में मनाया जाता है और वह कहते हैं कि व्यक्ति योग और साधना से जीवन में सब कुछ पा सकता है।

स्वामी विवेकानंद का भारत भ्रमण

Swami Vivekanand Ka Jivan Prichay – स्वामी विवेकानंद पूरे भारतवर्ष का भ्रमण पैदल यात्रा के दौरान काशी प्रयाग अयोध्या बनारस आगरा वृंदावन इसके अलावा कई जगह का भ्रमण किया। इस दौरान में कई सारे राजा गरीब संत और ब्राह्मणों के घर में ठाकरे और इस यात्रा के दौरान कई सारे अलग-अलग क्षेत्र में जाति प्रथा और भेदभाव ज्यादा प्रचलित थी। वे जाति प्रथा को हटाने के लिए बहुत कोशिश की है।

Swami Vivekanand Ka Jivan Prichay – 23 दिसंबर 1892 को भारत के अंतिम छोर कन्याकुमारी जा पहुंचे वहां पर उन्होंने तीन दिन तक समाधि में रहे। उसके बाद में अपने गुरु भाई से मिलने के लिए राजस्थान के आबू रोड जा पहुंचे जहां गुरु भाई स्वामी ब्रह्मानंद और स्वामी तूर्यनंद से मिले। भारत की पूरी यात्रा देश की गरीबी और दुखी लोगों को देखकर इसे पूरे देश को मुक्त करने और दुनिया को भारत के प्रतिशोज को बदलने का फैसला लिया।

शिकागो धर्म महासभा और विश्व में ख्याति

Swami Vivekanand Ka Jivan Prichay – 1893 में शिकागो (अमेरिका) में विश्व धर्म महासभा का आयोजन हुआ। स्वामी विवेकानंद ने इस महासभा में भारत का प्रतिनिधित्व किया। इस धर्म सम्मेलन में पूरी दुनिया के धर्मगुरु ने हिस्सा लिया था इसमें भाग लेने वाले सभी लोगों ने अपना धार्मिक किताब रखा और भारत की ओर से भागवत गीता को रखा गया इस सम्मेलन में स्वामी विवेकानंद जी को देखकर विदेशी लोग काफी मजाक उड़ाते थे पर उन्होंने कुछ भी नहीं बोला।

Swami Vivekanand Ka Jivan Prichay – उन्होंने अपने ऐतिहासिक भाषण की शुरुआत “अमेरिका के मेरे भाइयों और बहनों” से की, जिसनें वहां उपस्थित हजारों लोगों का दिल जीत लिया। उन्होंने भारतीय संस्कृति वेदांत और धर्म के कार्य तत्व को सरल और प्रभावी भाषा में प्रस्तुत किया उनके विचारों ने पश्चिमी समाज को भारतीय दर्शन और योग के महत्व को समझाया। इसके बाद वे पूरे अमेरिका और यूरोप में प्रसिद्ध हो गए।

रामकृष्ण मिशन की स्थापना

Swami Vivekanand Ka Jivan Prichay – 1897 में स्वामी विवेकानंद जी ने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की जिसका उद्देश्य यह था कि 9 भारत निर्माण के लिए अस्पताल स्कूल कॉलेज और साफ सफाई के क्षेत्र में बढ़ावा देना। वेद साहित्य दर्शनशास्त्र और इतिहास के ज्ञानेश्वर स्वामी विवेकानंद ने अपनी विनोद प्रतिभा से सभी को अपनी ओर आकर्षित किया और उसे समय के नौजवान लोगों के लिए एक आदर्श बन गए थे। 1898 में उन्होंने बेलूर मठ की स्थापना की जो अभी भी चल रहा है इसके अलावा और दो मठ की स्थापना की।

स्वामी विवेकानंद के अंतिम दिन और महासमाधि

Swami Vivekanand Ka Jivan Prichay – स्वामी विवेकानंद ने अपने जीवन काल में अनगिनत लोगों को प्रेरित किया और समाज सुधार के लिए अनेक कार्य किया। 39 वर्ष की अल्प आयु में 4 जुलाई 1902 को उन्होंने महा समाधी ले ली। उनका निधन बेलूर मठ में हुआ उनकी मृत्यु के बावजूद उनके विचार और शिक्षाएं आज भी जीवित है।

विवेकानंद की विरासत

Swami Vivekanand Ka Jivan Prichay – स्वामी विवेकानंद के विचार आज भी लाखों लोगों को प्रेरित करते हैं उनके आदर्श वाक्य “उठो जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए” ने कई युवाओं को सफलता की राह दिखाई। रामकृष्ण मिशन उनके कार्यों को आगे बढ़ा रहा है और समाज के हर क्षेत्र में योगदान दे रहा है उनकी शिक्षाएं समाज के हर वर्ग के लिए प्रेरणादायक है।

स्वामी विवेकानंद के 15 अनमोल वचन

Swami Vivekanand Ka Jivan Prichay – स्वामी विवेकानंद के अनमोल वचन और संदेश आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। जानिए स्वामी विवेकानंद जी के अनमोल विचार जो जीवन में ऊर्जा और जोस का संचार भर देंगे।

1. उठो जागो और तब तक मत रुको, जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।

2. तुम वही बनोगे जो तुम सोचते हो अगर तुम खुद को कमजोर मानोगे तो कमजोर ही बनोगे

3. एक समय में एक ही कम करो और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमें डाल दो।

3. अपने उद्देश्य को महान बना और उसे पाने के लिए पूरी ताकत लगा दो।

4. जो अग्नि हमें गर्मी देता है वह हमें नष्ट भी कर सकती है यह अग्नि का दोष नहीं है।

5.मनुष्य का जीवन केवल कर्म और सेवा के लिए है।

6. डरो मत अगर तुम डरते हो तो तुम हार जाओगे।

7. जीवन का महान रस से केवल त्याग और निस्वार्थ में है।

8. हम वह हैं जो हमारी सोच में हमें बनाया है इसलिए हम इस बात का ध्यान रखें कि आप क्या सोचते हैं।

9. असफलता तब होती है जब हम अपने आदर्श उद्देश्य और सिद्धांतों को भूल जाते हैं।

10. जो खुद पर विश्वास नहीं करता वह ना तो भगवान में विश्वास कर सकता है और ना ही किसी और चीज में।

11. शक्ति जीवन है, निर्बलता मृत्यु है।

12. विस्तार जीवन है, संकुचन मृत्यु है ।

13. प्रेम जीवन है, द्वेष मृत्यु है।

14. सबसे बड़ा धर्म है ,अपने स्वभाव के प्रति सच्चा होना।

15. स्वयं पर विश्वास करो ।

16. आत्मविश्वास से भरा हुआ व्यक्ति कमजोर होकर भी बलवान ही रहता है।

17. जब तक जीना है, तब तक सीखना है।

17. अनुभव ही मनुष्य के जीवन में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है।

Swami Vivekanand Ka Jivan Prichay – महत्वपूर्ण तिथियां
तिथिघटनाएं
12 जनवरी 1863 स्वामी विवेकानंद का जन्म कोलकाता (तत्कालीन कलकत्ता) में हुआ।
1879कोलकाता की प्रेसीडेंसी कॉलेज में प्रवेश लिया
1881 स्वामी रामकृष्ण परमहंस पहली बार मुलाकात की
1886 स्वामी रामकृष्ण परमहंस का निधन; स्वामी विवेकानंद ने सन्यास ग्रहण किया
1888-1893 पूरे भारत का ब्राह्मण कर समाज की स्थिति का अध्ययन किया
11 सितंबर 1893 शिकागो की विश्व धर्म महासभा में ऐतिहासिक भाषण दिया
1894 न्यूयॉर्क में वेदांत सोसाइटी की स्थापना की
1 में 1897 रामकृष्ण मिशन की स्थापना की
1898 बेलूर मठ की स्थापना की
1899 दूसरी बार पश्चिमी देशों की यात्रा की
4 जुलाई 1902 बेलूर मठ में महासमाधि ली ; 39 वर्ष की आयु में उनका निधन हुआ

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Frequently Asked Question

1. स्वामी विवेकानंद का घर में उपनाम क्या था?

Ans- स्वामी विवेकानंद का घर में उपनाम नरेंद्र दत्त था।

2. स्वामी विवेकानंद का जन्म कब और कहां हुआ था?

Ans- स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता ( पूर्वी भारत जो अब कोलकाता के नाम से जाना जाता है) में हुआ था।

3. स्वामी विवेकानंद के गुरु का क्या नाम था?

Ans – स्वामी विवेकानंद के गुरु का नाम रामकृष्ण परमहंस था।

4. स्वामी विवेकानंद के पिता का क्या नाम था?

Ans – स्वामी विवेकानंद के पिता का नाम विश्वनाथ दत्त था।

5. स्वामी विवेकानंद का प्रसिद्ध नारा क्या था?

Ans- उठो जागो और तब तक मत रुको, जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाए।

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