SURDAS KA JIVAN PARICHAY : महान कवि और वात्सल्य रस के सम्राट तथा हिंदी साहित्य के महान कवि सूरदास जी का जन्म सन 1478 ईस्वी में आगरा से मथुरा जाने वाली सड़क के पास स्थित रुनकता नामक ग्राम में हुआ था। कुछ विद्वान इनका जन्म स्थान सीही नामक स्थान को मानते हैं। उनके पिता का नाम पंडित रामदास था जो सरस ब्राह्मण थे।
SURDAS KA JIVAN PARICHAY : सूरदास जी जन्मान्ध थे या नहीं इस संबंध में भी विद्वानों के अनेक मतभेद हैं। किंतु इन्होंने मानव स्वभाव एवं श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का सच में जितना सुंदर वर्णन किया है। वैसा कोई जन्मान्ध व्यक्ति कर ही नहीं सकता इसलिए प्रतीत होता है कि यह जन्मांध नहीं थे। वह पहले से ही वीरता के पद पर गाया करते थे। SURDAS KA JIVAN PARICHAY अपने गुरु बल्लभाचार्य जी के सम्पर्क में आने के बाद यह श्री कृष्ण की भक्ति के पद गाने लगे। तथा सन 1583 इसी में गोवर्धन निकट परसौली नामक स्थान पर उनकी मृत्यु हो गई।
सूरदास जी का साहित्यिक परिचय
SURDAS KA JIVAN PARICHAY : सूरदास ने भगवान के लोकरंजन रूप को लेकर ही उनकी लीलाओं का वर्णन किया है। तुलसी की समान उनका उद्देश्य संसार को उपदेश देना नहीं बल्कि उसे कृष्ण की मनोहारी की लीलाओं के रस में डूबना था। वह वल्लभाचार्य जी के शिष्य बनने से पहले शुरू में विनय के पद गया करते थे। जिसमें हाथ से भाव की प्रधानता थी किंतु पुष्टि मार्ग से दीक्षिप्त होने के उप्रांत सूरदास जी ने विनय के पद गाने के स्थान पर कृष्ण की बाल लीलाओं का हृदयस्पर्शी वर्णन किया।
सूरदास जी का कृतियां (रचनायें)
SURDAS KA JIVAN PARICHAY : सूरदास जी ने लगभग सवा लाख पदों की रचना की थी, जिनमें से केवल 8 से 10 हजार पद ही प्राप्त हो पाए हैं। काशी नागरी प्रचारिणी सभा के पुस्तकालय में यह रचना सुरक्षित रखी गई है। पुस्तकालय में सुरक्षित रचनाओं के आधार पर सूरदास जी के ग्रंथों की संख्या 25 मानी जाती है, किंतु उनके तीन ग्रंथ ही उपलब्ध हुए हैं जो निम्नलिखित है।
- सूरसागर – यह सूरदास जी की एकमात्र प्रमाणिक कृति है यह एक गति काव्य है, जो श्रीमद् भागवत ग्रंथ से प्रभावित है। SURDAS KA JIVAN PARICHAY इसमें श्री कृष्ण की बाल-लीलाओं, गोपी प्रेम, गोपी बिरह, उद्धव-गोपी संवाद, का बड़ा मनोवैज्ञानिक और सरस वर्णन है।
- सुरसरावली – यह ग्रंथ सूरसागर का सारभाग है, जो अभी तक विवादास्पद स्थिति में है, किंतु यह भी सूरदास जी की एक प्रामाणिक कृतियां इसमें 1107 पद है।
- साहित्य लहरी- इस ग्रंथ में 118 दृष्टिकूट पदों का संग्रह है तथा इसमें मुख्य रूप से नायिकाओं एवं अलंकारों की विवेचना की गई है SURDAS KA JIVAN PARICHAY कहीं-कहीं श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन तथा एक – दो स्थल पर ‘महाभारत’ की कथा के अंश की झलक भी दिखाई देती है।
नाम | सूरदास |
जन्म स्थान , तारीख | रुनकता ग्राम , 1478 ई. |
मृत्यु स्थान , तारीख | परसौली , 1583 ई. |
गुरु | बल्लभाचार्य |
पिता का नाम | पंडित रामदास |
माता का नाम | जमुनदास बाई |
पत्नी का नाम | कई लोग मानते है उनकी पत्नी नाम रत्नावली था तथा कई लोग मानते है की वह ब्रह्मचारी थे। |
भक्ति का रूप | कृष्ण की भक्ति |
निवास स्थान | श्री नाथ मंदिर |
भाषा शैली | ब्रज |
काव्य कृतिया , रचनायें | सुरसागर , साहित्य लहरी , सुरसारावली |
साहित्य में योगदान | कृष्ण की बाल-लीलावों तथा कृष्ण-लीलावों का चित्रण |
Mahadevi Verma Ka Jivan Parichay

सूरदास का जीवन परिचय कैसे लिखे?
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Surdas Ki Patni Ka Naam
सूरदास के माता का नाम जमुनदास बाई तथा उनके पिता का नाम पंडित रामदास था जो सरस ब्राह्मण थे।