Mother Teresa Biography In Hindi : मदर टेरेसा को दुनिया भर में कौन नहीं जानता यह एक महान हस्ती है जिन्होंने अपने पूरे जीवन को निस्वार्थ भाव और प्रेम से गरीब और लाचारों की सेवा में समर्पित कर दिया था मदर टेरेसा अपार प्रेम और त्याग की मुरत थी। जो किसी एक व्यक्ति के लिए नहीं बल्कि हर उसे इंसान के लिए प्रेम और दया रखती थी जो गरीब लाचार बीमार और अपने जीवन में अकेला था।
18 साल की उम्र से ही मदर टेरेसा बनाकर अपने जीवन को एक नई दिशा दी। मदर टेरेसा भारत की नहीं थी बल्कि भारत पहली बार आई तो वह यहां के लोगों से प्रेम कर बैठे और अपना जीवन करीब और लाचार रोग की सभ्यता के लिए निर्णय किया उन्होंने भारत के लोगों के लिए अपने जीवन काल के दौरान अभूतपूर्व कार्य किया इनकी योगदान कार्यों को सम्मान करने के लिए उनकी पुण्यतिथि के दिन हर साल विश्व स्तर पर भी सुधार दिवस मनाया जाता है आईए जानते हैं इस महान संस्कृति के जीवन परिचय के बारे में।
कौन थीं मदर टेरेसा?
Mother Teresa Biography In Hindi : मानवता की प्रतीक मदर टेरेसा एक महान मानवसेविका थी जिनका जन्म 26 अगस्त 1910 को स्कोप्जे ( वर्तमान में मेसिडोनिया) मैं हुआ था उनका असली नाम अगनेस गोंझा बोयाज्यू था। वे एक रोमन कैथोलिक नन थी जिन्होंने अपना जीवन भारत में गरीबों बीमारों और सहयोग की सेवा में समर्पित कर दिया वह 1929 को भारत आई और कोलकाता में उन्होंने गरीबों की सेवा शुरू की 1950 में उन्होंने “मिशनरी ऑफ चैरिटी” नामक संस्था की स्थापना की जो आज भी दुनिया भर में एक सेवा कर रही है।
उन्हें 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार और 1980 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया उनकी सेवा भावना त्याग और करुणा के कारण उन्हें वैश्विक स्तर पर चला गया 5 सितंबर 1997 को उनका निधन हुआ। 2016 में उन्हें वेटिकन सिटी द्वारा संत की उपाधि दी गई हुई आज भी इंसानियत की विचार मानी जाती है।
प्रारंभिक जीवन
Mother Teresa Biography In Hindi : मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त 1910 को वर्तमान उत्तरी मैसेंडोनिया के स्कोप्जे मैं एक अल्बानिया परिवार में हुआ था उनका असली नाम अगनेस गोंझा बोयाज्यू था। उनके पिता निकोला एक व्यावसायिक थे और मां ड्राना एक धार्मिक महिला थी, जो अक्सर गरीबों की मदद करती थी मां की एक सेवा भावना में आगे चलकर अगनेश के जीवन को गहराई से प्रभावित करने वाली थी।
Mother Teresa Biography In Hindi : जब मदर टेरेसा मात्र 8 वर्ष की थी तभी उनके पिता का निधन हो गया। इसकी बाद उनकी मां ने उनका पालन पोषण किया और उन्हें ईश्वर में विश्वास पर दूसरे की सेवा करना सिखाया।
धार्मिक जीवन की शुरुआत
Mother Teresa Biography In Hindi : 18 वर्ष की उम्र में उन्होंने नन बनने का निश्चय किया और आयरलैंड के लोरेटो कॉन्वेंट में शामिल हो गई वहां से उन्हें भारत भेजा गया उन्होंने कोलकाता में लोरेटो कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ना शुरू किया यहीं पर उन्होंने सिस्टर टेरेसा नाम धारण किया। शिक्षण कार्य के दौरान में अक्सर शहर की झुग्गी-झोपड़ी क्षेत्र में जाती थी और वहां की भयानक गरीबी, भूख और बीमारी को करीब से देखती थी।
सेवा कार्य की शुरुआत
Mother Teresa Biography In Hindi : 1946 में एक रेल यात्रा के दौरान उन्हें ईश्वर का बुलावा महसूस हुआ उन्होंने अनुभव किया कि उनका असली कार्य तो गरीब और असहाय की सेवा करना है उन्होंने अपने कान्वेंट की जीवन शैली छोड़ दी और गरीबों के बीच रहने लगी उन्होंने साधे सफेद कपड़े पहनने शुरू किये। जो एक आज मिशनरीज का चैरिटी की पहचान है 1948 में उन्हें वेटिकन से गरीबों के बीच काम करने की अनुमति मिली और उन्होंने कोलकाता की सड़कों पर सारा लोगों की सेवा शुरू की 1950 में उन्होंने मशीनरी ऑफ सिटी नामक एक संस्था के स्थापना की जिसका मुख्य उद्देश्य जो सबसे गरीब सबसे बीमार सबसे अकेले और सबसे अवांछित है उनकी सेवा करना था।
मिशनरीज का चैरिटी की शुरुआत
Mother Teresa Biography In Hindi : मिशनरीज का चैरिटी की शुरुआत 13 लोगों के साथ शुरू हुई थी 1946 में उन्होंने गरीबों सहयोग बीमारी और लाचारों की मदद करने का मन बना लिया इसके बाद मदर टेरेसा ने पटना के बोली फैमिली हॉस्पिटल से आवश्यक नर्सिंग ट्रेनिंग पूरी की और 1948 में वापस कोलकाता आ गई और वहां गरीब बुजुर्गों की देखभाल करने वाली संस्था के साथ रही।

Mother Teresa Biography In Hindi : इस संस्था ने भारत ही नहीं बल्कि विश्व के अनेक देशों में सेवा शुरू की संस्था ने अनाथालय, वृद्धआश्रम, कुष्ठरोगी और एचआईवी एड्स रोगियों के लिए केंद्र खोले मदर टेरेसा ने कभी भी धर्म, जाति या राष्ट्रीयता के आधार पर किसी की सेवा करने से इनकार नहीं किया। कोलकाता में स्थित निर्मल हृदय नमक आश्रम विशेष रूप से प्रसिद्ध हुआ जहां मृत्यु की कगार पर पहुंचे असहाय लोगों को अंतिम समय में प्यार देखभाल और सम्मान प्रदान किया जाता था मदर टेरेसा का मानना था कि हर इंसान को प्यार और सम्मान के साथ मरने का अधिकार है।
आलोचनाएं और चुनौतियाँ
Mother Teresa Biography In Hindi : हालांकि मदर टेरेसा के कार्यों की विश्व भर में सराहना हुई परंतु उनके खिलाफ कई आलोचनाएं भी उठी कुछ लोगों ने उनके संस्थाओं की चिकित्सा व्यवस्था को असंतोष जनक बताया तो कुछ ने कहा कि उनकी ईसाई धर्म प्रचार में संलग्न थी लेकिन इन आलोचनाओं के की बावजूद मदर टेरेसा की नियत और समर्पण पर कोई संदेह नहीं कर सका।
मदर टेरेसा कि वैश्विक प्रसिद्धि और पुरस्कार
Mother Teresa Biography In Hindi : मदर टेरेसा के काम को दुनिया भर में मान्यता और सराहना मिली है। उनके आदित्य कार्यों के लिए अनेक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले प्रमुख पुरस्कारों में शामिल।
नोबेल शांति पुरस्कार (1979) – उन्हें या पुरस्कार बेसिक स्तर पर शांति और मानव सेवा के लिए दिया गया।
भारत रत्न (1980) – भारत सरकार ने उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा।
इसके अलावा उन्हें पद्मश्री, नेहरू पुरस्कार, पोप जॉन XXIII शांति पुरस्कार, कनाडा का सम्मान और अमेरिका का प्रेसीडेंशियल मेडल ऑफ़ फ्रीडम जैसे कई पुरस्कार मिले।
मदर टेरेसा ने नोबेल पुरस्कार की 1992 हजार डॉलर की धनराशि को गरीबों के लिए एक फंड के तौर पर इस्तेमाल करने का निर्णय लिया।
मदर टेरेसा की मृत्यु
Mother Teresa Biography In Hindi : वर्ष 1983 में 73 वर्ष की आयु में मदर टेरेसा को पहली बार दिल का दौरा पड़ा उसे समय मदर टेरेसा रोम के पोप जॉन पाल द्वितीय से मिलने के लिए गई थी दूसरा दिल का दौरा उन्हें 1979 में आया और उन्हें पेसमेकर लगाया गया 1991 में मेक्सिको में निमोनिया के बाद उनके हृदय की परेशानी और बढ़ गई इसके बाद उनकी सेहत लगातार गिरती रही। 5 सितंबर 1997 को उनकी मौत हो गई।
Mother Teresa Biography In Hindi : उनकी मौत के समय तक “मशीनरी ऑफ़ चैरिटी” में 4000 सिस्टर और 300अन्य सहयोगी संस्थाएं कम कर रही थी जो विश्व के 123 देश में समाज सेवा में कार्यरत थीं। 2016 में पोप फ्रांसिस में वेटिकन सिटी में आयोजित एक समारोह में उन्हें “संत टेरेसा ऑफ कोलकाता” की उपाधि दिया विश्व भर में कैथोलिक ईसाइयों के एक महान सम्मान था।
मदर टेरेसा के विरासत और अनमोल विचार
Mother Teresa Biography In Hindi : मदर टेरेसा का जीवन हम सभी के लिए प्रेरणा है उन्होंने यह सिखाया की सेवा करने के लिए धनिया शक्ति नहीं बल्कि करुणा और समर्पण की शुरुआत होती है उन्होंने कहा था :
” हम सब इस दुनिया में महान काम नहीं कर सकेंगे लेकिन हम छोटे-छोटे काम बड़े प्रेम से कर सकते हैं।”
“यदि हमारे बीच शांति की कमी है तो वह इसलिए क्योंकि हम भूल गए हैं कि हम एक दूसरे से संबंधित है।”
” यदि आप 100 लोगों को भोजन नहीं कर सकते हैं तो कम से कम एक को ही करवाऐ।”
“अकेलापन सबसे भयभीत गरीबी है।”
“अपने करीबी लोगों की देखभाल कर आप प्रेम की अनुभूत कर सकते हैं।”
“हम सभी ईश्वर के हाथ में कलाम के समान है।”
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